Saturday, May 26, 2007

ताज: एक मोहब्बत

ताज: एक मोहब्बत

'इंडिया यूनाइट्स फ़ॉर ताज' अभियान के तहत ख्यात संगीतकार ए आर रहमान जी का गीत "एक मोहब्बत"

मौसम आते-जाते हैं
सदियाँ आती-जाती हैं
कुछ चीजें रह जाती हैं याद में ।

वो दिन वो राज कहॉ है
नाज़-ओ-अंदाज़ कहॉ है
नगमें हैं आज सदा के साथ में ।

कोई कहता है जीने का मकसद
यहां दौलत में है
कोई कहता है जीने का मकसद
इनायत में है
मुझसे जो कोई पूछे
क्यों न कहूं जिन्दगी की करामात
मोहब्बत में ।

एक सदा दिल है
एक सदा रब है
एक मोहब्बत है ।

राधा-कृष्ण की मोहब्बत
आदम-हौवा की मोहब्बत
हीर और राँझा की मोहब्बत।
शाहजहाँ-मुमताज की मोहब्बत
लैला-मजनूं की मोहब्बत
तेरी और मेरी मोहब्बत।

मोहब्बत के हैं जो
है उनको पहला सलाम
तोहफा मोहब्बत का है जो
हर दिल को उसको सलाम ।

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आप सभी से अनुरोध है ताज को वोट दे कर उसे विश्व के सात आश्चर्यों में शामिल कराएँ ।

Friday, May 25, 2007

कुछ शेर

कुछ शेर:

अपना

मिलता है सब कुछ जिन्दगी एक दिन मगर...
जो हासिल होता है वो अपना नही होता...

होता है प्यार सपनों में हर बार मगर...
जो दर्द मिलता है वो अपना नही होता...

अशोक "नाम"

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आप

सफ़र मे जिन्दगी है...

जिन्दगी में हमसफ़र है...

हमसफ़र धड़कनों मे है...

धड़कनों में दर्द है...

दर्द में मंज़िल है...

मंज़िल में तनहाई है...

और

तनहाई में आपकी खामोशी है...


अशोक "नाम"

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आहट

सफ़र में हम थे मगर...
क़दमों की आहट अपनी न थी...

होंठों पे मुस्कराहट अपनी थी मगर...
पलकों पे आंसू अपने न थे...

सीने में दिल धड़कता रहा मगर...
धड़कनें अपनी न थी...

यादों में कोई था मगर...
वो अपना न था...

जीते रहे ख़ुशी के साथ उसे मगर...
वो जिन्दगी अपनी न थी...

अशोक "नाम"

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आज

आज ज़माने बाद उस बे-वफ़ा को याद किया...
आज ज़माने बाद धड़कनों ने दर्द से मुलाक़ात की...

आज ज़माने बाद पलकों ने आँसू से बात की...
आज ज़माने बाद जिन्दगी ने जीने की तमन्ना की...


अशोक "नाम"

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अपने

जिन्दगी में अपनों की कमी नही होती
अपनों में अपनेपन की कमी होती है...

रातों में सपनों की कमी नही होती
सपनों में अपनों की कमी होती है...


अशोक "नाम"

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मंज़िल

मंज़िल पे वो तनहा है, सफ़र में हम अकेले है...
मंज़िल हमारी किस्मत में नही, सफ़र उनकी चाहत में नही...


अशोक "नाम"

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बे-रूखी

जिन्दगी के इस मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है...
दर्द का एक कतरा पलकों पे उतर आया है...

नही रोते थे धड़कनों की खामोशी पे...
आज आपकी बे-रूखी ने हमे बहुत रुलाया है...


अशोक "नाम"

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Wednesday, May 23, 2007

कुछ सवाल और जवाब

कुछ सवाल और जवाब:

सवाल: खुशियों की मंजिल क्या है?

जवाब: हर बार खुशियाँ, मंजिल पे पहुचकर, आंसूऒं में तब्दील हो जाती है।

सवाल: जिंदगी क्या है?

जवाब: यादों की परतें ।

सवाल: जिन्दगी का सार क्या है?

जवाब: गलतियों का दोहराव ही इन्सान की जिन्दगी का सार है ।

सवाल: दर्द का अहसास क्या है?

जवाब: ख़ुशी के पलों में जो चोट लगती है, उसकी टीस जिन्दगी भर सताती है क्योकि जब भी जिन्दगी में ख़ुशी आती है, जाने-अनजाने वो दर्द भी अपना अहसास छोड जाता है ।

सवाल: वर्तमान क्या है?

जवाब: पल-पल करके वर्तमान अतीत बनता जा रहा है, इसलिये वर्तमान का भविष्य, अतीत ही होता है । इन्सान का एक कदम अतीत, तो दूसरा कदम भविष्य की ओर होता है और उन दोनो क़दमों के बीच का खालीपन ही वर्तमान है ।

सवाल: सृजन क्या है ?

जवाब: मन, मस्तिष्क और दिल जब एक ही दिशा में (किसी विषय अथवा कार्य से सम्बंधित) अपना रुख करते है, तब जो भी परिणाम निकलता है, वही सृजन है ।

सवाल: मन का कार्य क्या है?

जवाब: भावनाओं और विचारों के बीच टकराव की स्थिति निर्मित करना ।

सवाल: यादें ...?

जवाब: किसी को भुलाने के लिए उसे याद करना पड़ता है । इन्सान यादों का गुलाम होता है ।

सवाल: अनकही कहानी क्या है?

जवाब: हर इन्सान अपने आप में एक अनकही कहानी है, पढ़ते जाओ मगर पन्ने कभी खत्म नही होते ।

सवाल: चाहत की इन्तेहा ...?

जवाब: किसी को इतना भी न चाहो कि धड़कने पलकों पे उतरने लगे ।

सवाल: खुद स्वयं से मिलने में डर क्यो लगता है?

जवाब: सच से दूरी बनाए रखना इन्सान कि आदत है, क्योकि सच का सामना करना मुमकिन नही होता ।

सवाल: इन्सान दूसरों से क्यो मिलता है? या दूसरों से क्यो मिलना चाहता है?

जवाब: अपने आप से दूर भागने के लिए ।


अशोक "नाम"

Saturday, May 19, 2007

Sometimes...

Sometimes...

friendship needs silence.


Sometimes...

no communication between friends.


Sometimes...

no words need to express feelings.


Sometimes...

need a kiss to catch someone's smile.


Sometimes...

need a touch to feel someone's heart-beats.


Sometimes...

need a 'msg' to tell someone,

that now ur in my memory.


ashok lalwani

ग़ज़ल

ग़ज़ल



चाँद कुछ धुंधला-सा था
तुम्हारी नाराज़गी का ख्याल आ गया।


था कशिश का आलम फ़िजा में
जुल्फों के साये में पुरनम का चाँद आ गया।



मंजिल तो थी आप मगर
ये कौन सा मकाम आ गया।



पहुँचना था आप तक मगर
ये कौन हमराह आ गया।



अज़ब नशा था आपकी नज़रों में
आते न आते हाथों में जाम आ गया।




था हाथों में प्यार भरा ख़त
वक्त से पहले मौंत का पैंगाम आ गया।



अशोक "नाम"




(पुरनम का चाँदः आँसूऒं से भिगा खूबसूरत चेहरा)

Friday, May 18, 2007

वो लड़की


तनहा अकेले

पलकों के सहारे

जी रही

वो लड़की


पलकों पे चुभन

सपनों की

चौंक उठती है

वो लड़की


धड़कनों की दहलींज

यादों का मकान

दिल को समझाती

वो लड़की



खुला आसमान

झुकीं पलकें

अशकों को छुपाती

वो लड़की


सूनी डगर

तनहा मंजिल

ददॆ से बातें करती

वो लड़की


अपनों की जुबानीं

सपनों की कहानी

जिंदगी से नज़रें चुराती

वो लड़की


सासों का सफ़र

खुद से बे-खबर

हाथ की लकीरों से लड़ती

वो लड़की


अशोक "नाम"