Saturday, June 25, 2016

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी निकल जाती है
ढूँढने में कि..,
ढूंढना क्या है?

अंत में
तलाश सिमट जाती है
इस 'सुकून' में कि..
जो मिला, वो भी
कहाँ 'साथ' लेकर जाना है |

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