ज़िन्दगी निकल जाती है
ढूँढने में कि..,
ढूंढना क्या है?
अंत में
तलाश सिमट जाती है
इस 'सुकून' में कि..
जो मिला, वो भी
कहाँ 'साथ' लेकर जाना है |
ढूँढने में कि..,
ढूंढना क्या है?
अंत में
तलाश सिमट जाती है
इस 'सुकून' में कि..
जो मिला, वो भी
कहाँ 'साथ' लेकर जाना है |
No comments:
Post a Comment