Thursday, December 9, 2010

कुछ अशआर

खामोश रात

खामोश रात जब तन्हाई में रोती है
उनकी याद शबनम बन के पलकों पे उतरती है

ये ज़िन्दगी जब मौत के सफ़र पे निकलते है
धड़कन दर्द बन के दिल की दहलीज पे पिएघलती है

अशोक "नाम"

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कोई

कोशिश दर्द को छुपाने की करता है कोई ...

लबो पे फ़साना लाने से डरता है कोई ...

सफ़र में जो साथ था मंजिल पे आके भूल जाता है कोई ...

हर लम्हा हर पल यादें पलकों पे छोड़ जाता है कोई ...

अशोक "नाम"


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दर्द--दिल

धडकनों को आंसूओ में भिगोते रहे ,लबो पे मुस्कराहट लाते रहे
दर्द ही दर्द है सांसो में , पलकों पे आपकी तस्वीर लाते रहे

चलते रहे तनहा अकेले बे -खबर , मंजिल को सफ़र में लाते रहे
ख़ामोशी को अपना नसीब मानते रहे , दर्द-ऐ-दिल से गुफ्तगू करते रहे

अशोक "नाम"


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ख़ामोशी

धडकनों में जब दर्द पिएघलता है
पलकों पे वो खवाब बनके उतरता है ...

ज़िन्दगी में जब ख़ामोशी करवट बदलती है
एक आवाज़ सांस बनके जेहन में उतरती है ...

अशोक "नाम"


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बे-रुखी

ज़िन्दगी के इस मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है
दर्द का एक कतरा पलकों पे उतर आया है ...

नहीं रोते थे धडकनों की ख़ामोशी पे
आज आपकी बे-रुखी ने हमें बहुत रुलाया है ...

अशोक "नाम"

Tuesday, November 23, 2010

तलाश-ऐ-आरज़ू

तमाम हो रही है ज़िन्दगी लम्हों के गुजरने के अहसास के साथ
पुकारती है धड़कने तन्हाई में दर्द को पलकों के पास

अजनबी हो रही है मंजिल हमसफ़र के क़दमों की आहट के साथ
गुजरती है सांसें खुशियों के रास्ते लबों के पास

खामोश हो रही है रातें ख्वाबों के सो जाने की उम्मीद के साथ
उठती है लहरें शब्-भर सीने पे नींद के पास

गुमशुदा हो रही है चाहतें तलाश-ऐ-आरज़ू के फ़ना होने के साथ
जलती है शमा हर बार इंतजार में परवाने के पास

हो रही है बेवफा यादें वादों के टूट के बिखरने के साथ
सिसकती है चांदनी चाँद के पहलू में सितारों के पास

हो रही है बेमतलब दुनिया "नाम" के जमीदोश होने के साथ
मुस्कुराती है मौत जन्नत की दहलीज़ पे कफ़न के पास

अशोक "नाम"

मिलता नहीं

होता है हर मजिल का सफ़र ये मालूम है मुझे
मुझको मेरी मंजिल का सफ़र मगर मिलता नहीं

होना है फ़ना एक दिन जलके ये मालूम है मुझे
मुझको तेरी महफ़िल का पता मगर मिलता नहीं

होते है जुदा मुसाफिर मोड़ पे ये मालूम है मुझे
मुझको मेरी ज़िन्दगी का मुकाम मगर मिलता नहीं

होता है महसूस धडकनों को दर्द ये मालूम है मुझे
मुझको तेरी पलकों का किनारा मगर मिलता नहीं

होता है हर लम्हे में सदियों का अहसास ये मालूम है मुझे
मुझको मेरी मौत का वक़्त मगर मिलता नहीं

होती है आहट "नाम" के सीने पे ये मालूम है मुझे
मुझको तेरी ख़ामोशी का सहारा मगर मिलता नहीं

अशोक "नाम"

come to me for life

when I feel pain
your hands are so wide

I hear the same
when you say through your eyes

when you smile in soft
I feel my heart-beats closer your heart

No more reason
No real dreams
just show me the way
how I feel you near

I hear the same
when you say through your eyes

when I do wrong
I like you'll be right
you'll be mine
now. always, forever

No more closeness
No real deepness
just ask me in the way
you feel me through your tears

I hear the same
when you say through your eyes

when I feel alone
I hate to live more
come to me for life
make me alive forever

No more wait
No real faith
just love me in the way
you make me happy through your lips

I hear the same
when you say through your eyes


ashok lalwani

Wednesday, November 17, 2010

आंसुओ की सदा

कुछ कतरे बचे है धडकनों में दर्द के
पलकों से आंसुओ की सदा फिर आती क्यों नहीं

कुछ उम्मीदें बची है ज़िन्दगी में मौत की
तन्हाई में यादों की महक फिर आती क्यों नहीं

कुछ रास्तें बचे है सफ़र में मंजिल के
हमसफ़र के कदमो की आहट फिर आती क्यों नहीं

कुछ फासले बचे है आलम में नजदीकियों के
उस शख्श के आने की उम्मीद फिर आती क्यों नहीं

कुछ लम्हे बचे है सीने पे वक़्त के
सदियों के गुजर जाने की चाहत फिर आती क्यों नहीं

कुछ इरादे बचे है मुहब्बत में "नाम" के
लबों पे खुशियों के बहार फिर आती क्यों नहीं

अशोक "नाम"

Tuesday, November 16, 2010

अश्कों के मोती

चाँद गुनगुनाने लगा, सितारें गीत गाने लगे
जब आपकी यादों के बादल सीने पे उतरने लगे

महफ़िलें सजने लगी, शमाओ के दिल जलने लगे
जब आपके दर्द के अफसाने पलकों पे मचलने लगे

हवाओं में नशा घुलने लगा, मौसमों के रंग बदलने लगे
जब आपके अह्स्कों के मोती लबों को चूमने लगे

धडकनों के किनारे धूआ उतने लगा, सांसों के सफ़र थमने लगे
जब आपको आपके अपने साये अजबनी लगने लगे

वफाओं में ख़ामोशी छाने लगी, वादों के परिन्दें उड़ने लगे
जब आपकी तनहा मंजिलें मोड़ पे आके सिसकने लगे

सीने पे रातें जागने लगी, क़दमों के निशां मिटने लगे
जब आपके ख्वाब "नाम" की ज़िन्दगी होने लगे

अशोक "नाम"

Friday, November 12, 2010

तुम नहीं हो

तसल्ली इस बात की नहीं के
धडकनों को किनारा मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
धडकनों में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
ज़िन्दगी की सहारा मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
ज़िन्दगी में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
सफ़र को मंजिल मिल गयी
अफ़सोस इस बात है के
सफ़र में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
आंसुओं को हमसफ़र मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
आंसुओं में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
घर को दरो-दिवार मिल गए
अफ़सोस इस बात है के
घर में तुम नहीं हो


"नाम" तसल्ली इस बात की नहीं के
सांसों का मंजर थम गया
अफ़सोस इस बात है के
सांसों में तुम नहीं हो


अशोक "नाम"

यादों के निशाँ

ज़िन्दगी संवरती है, वक़्त गुजरता है
कुछ निशां यादों के
न मिटते है, न हलके होते है

सपने दम तोड़ते है, चाहते गुम होती है
कुछ सफ़र ज़िन्दगी के
न खत्म होते है, न बदलते है

मुसाफिर मिलते है, कारवां बदलता है
कुछ हमराही तन्हाई के
न गुजरते है, न ठहरते है

मौसुम रंग छोड़ते है, चेहरे बदलते है
कुछ आलम बेवफाई के
न मुस्कुराते है, न नम होते है

बदल छाते है, झुल्फें खुलती है
कुछ नशा अदाओं का
न बरसता है, न उतरता है

"नाम" रोते है, सांसे सिसकती है
कुछ असर दर्द के
न जीते है, न मरते है

अशोक "नाम"

आपकी तन्हाई

आप के चेहरे पे उदासी खूबसूरत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी बेपरवाह धडकनों से पूछ लो

आपकी धडकनों पे लिखी कहानी अपनी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी पलकों पे अपने अश्कों से संवार दो

आप के अश्कों की नमी शायराना-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी ग़ज़लों को अपने लबों पे उतार लो

आप के लबों की कोमलता अजनबी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी आवारगी को अपने सीने पे रख लो

आप के सीने पे मेरी सांसे संगीत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी पायल की तन्हाई को सुन लो

आप के तन्हाई "नाम" की ज़िन्दगी-सी लगती है
यकीं न हो तो अपने ख्वाबों की परछाई से पूछ लो

अशोक "नाम"

Wednesday, November 10, 2010

होता है एहसास

होता है एहसास ख्वाबों के टूटने का
जब तेरी पलकों पे धड़कने बिखरने लगती है

होता है एहसास दर्द के संवरने का
जब तेरे लबों पे खुशियाँ दम तोडती है

होता है एहसास सफ़र के तनहा होने का
जब तेरी मंजिल करवटें बदलने लगती है

होता है एहसास चांदनी के गुजरने का
जब तेरे चेहरे पे आंसुओं का साया पड़ने लगता है

होता है एहसास नजदीकियों के खो जाने का
जब तेरे फासलों में ख़ामोशी उतरने लगती है

होता है एहसास "नाम" के जिंदा होने का
जब तेरी चाहते सांसो में घुलने लगती है

अशोक "नाम"

its your life

Anything you see in my eyes
its your life...

Something you want in my touch
its your closeness...

Anything you listen in my songs
its your heart-beats...

Something you feel on my lips
its your smile...

Anything you want in my desires
its your sweetness...

Something you search in my nights
its your dreams...

Anything you whisper in my ears
its your love...

Something you find in my ways
its your foot-prints...

Anything you do in my days
its your sunshine...

Something you say in my voice
its your feelings...

Anything you like in my tears
its your deepness...

Something you live in my moments
its you & only you...


Ashok Lalwani

Tuesday, November 9, 2010

तन्हाई की मजिल

पलकों की महक
आंसुओ की खुशबू
और
आपका मुस्कुराना

चाँद का अकेलापन
चांदनी की बेबसी
और
आपका गुनगुनाना

दर्द का सफर
तन्हाई की मजिल
और
आपका खो जाना

ग़ज़लों की महफ़िल
शमा का मचलना
और
आपका का खामोश हो जाना

आँगन का सूनापन
रास्तों का सिसकना
और
आपका चले जाना

ख्वाबों का उतरना
"नाम" की नींदें
और
आपका जागना

अशोक "नाम"

Thursday, November 4, 2010

आप का अहसास

सर्द हवा का झोंका
और आप का अहसास

काजल, तितली, जूगनू
और नज़रों की बारिश

पायल की मधुर झंकार
और तेरा मेरी बाँहों में बिखरना

तेरी मुस्कराहट का शर्माना
और मेरे लबों पे संवरना

अनजान मुसाफिरों का कारवां
और तेरा मेरा हमसफ़र बन जाना

"नाम" धडकनों की महफ़िल
और तेरा चिलमन उठा के आ जाना

अशोक "नाम"

Wednesday, November 3, 2010

हर लम्हा

दर्द
उस अहसास की खुशबू है
जो
हर लम्हा
धडकनों को महका जाती है


खुशियाँ
उन आँखों की आवाज़ है
जो
हर लम्हा
लबों को गुनगुना जाती है


यादें
उन बातों की खूबसूरती है
जो
हर लम्हा
पलकों को संवार जाती है


मुलाकातें
उन फसलों को कहानी है
जो
हर लम्हा
नजदीकियों को भूला जाती है


ज़िन्दगी
उस सफ़र की मजिल है
जो
हर लम्हा
तन्हाई को रूला जाती है


"नाम"
उन रास्तों को मुसाफिर है
जो
हर लम्हा
एक मोड़ पे ठहर जाता है

अशोक "नाम"

Monday, November 1, 2010

The way I feel you

we both have many ways
to see each other

but I have the way
to look you
through my heart

we both have many ways
to realise each other

but I have the way
to feel you
through my heart

we both have many ways
to understand each other

but I have the way
to find you
through my heart

we both have many ways
to touch each other

but I have the way
to hold you
through my heart

we both have many ways
to talk each other

but I have the way
to listen you
through my heart

we both have many ways
to like each other

but I have the way
to love you
through my heart

And the way is
to feel you
within me through
my heart-beats!

ashok lalwani

न जाने

तेरी यादों की बेबसी ने हमें तनहा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस जहाँ का कर दिया

तेरी धडकनों की नमी ने हमें बेसहारा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस दिल का कर दिया

तेरी पलकों की ख़ामोशी ने हमें बेजुबा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस साज़ का कर दिया

तेरी तन्हाई की कमी ने हमें बेपर्दा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस महफ़िल का कर दिया

तेरी चाहतों की मंजिल ने रुसवा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस सफ़र का कर दिया

तेरी खुशियों के दर्द ने "नाम" को जिन्दा कर दिया
न जाने तुमने हमें किस आलम का कर दिया

अशोक "नाम"

बेनाम हमसफ़र

खामोश राहों में वो चलता है मेरे साथ
तन्हाई बन के

मंजिल पे मुझे कर देता है तनहा
बेनाम बन के

नम यादों में वो रहता है मेरे साथ
हमसफ़र बन के

महफ़िल में "नाम" को कर देता है रुसवा
अजनबी बन के

अशोक "नाम"

बेबसी

मेरे दर्द की इन्तेहा देखिये
तेरे आंसुओं को
अपनी पलकों पे महसूस करते है

"नाम" की बेबसी देखिये
तेरी तन्हाई को
अपनी मंजिल पे महसूस करते है

अशोक "नाम"

मेरी पलकों पे

लम्हे हो जाते है खूबसूरत
जब तेरा दर्द
करवट बदलता है
मेरी धडकनों में


जवा हो जाती है हसरत
जब तेरी याद
रंग बदलती है
मेरी सांसों में

बे-जुबा हो जाती है चाहत
जब तेरी ऑंखें
असर छोडती है
मेरी पलकों पे

दिल हो जाता है बेताब
जब तेरी तन्हाई
उतर आती है
मेरे अकेलेपन में

लैब हो जाते है बे-साज़
जब तेरी आवाज़
घूल जाती है
मेरे गीतों में

"नाम" हो जाते है बे-करार
जब तेरी खुशबू
बिखर जाती है
खामोश रास्तों में

अशोक "नाम"

मन

गर सँभालने वाला हो तो
लड़खड़ाने का भी मन करता है


अशोक "नाम"

Smile

What is smile?

"Smile is the dryness of tears."



The Importance of Death:

"Life is nothing, just a single letter less than the death."


Good or Bad?

"Nothing is good & nothing is bad: something good in bad & something bad in good."


Ashok Lalwani

Friday, October 29, 2010

दिल की बस्ती

वक़्त तो गुजर जाता है लेकिन
कुछ लम्हों का सफ़र कभी खत्म नहीं होता


मंजिल तो हासिल हो जाती है लेकिन
सफ़र के खो जाने का डर कभी खत्म नहीं होता

धड़कने तो खामोश हो जाती है लेकिन
पलकों के नम होने का अहसास कभी खत्म नहीं होता

खुशियाँ तो आती जाती हैं लेकिन
दर्द की तन्हाई का आलम कभी खत्म नहीं होता

तमन्नाएं तो जवा रह जाती है लेकिन
हमसफर का इंतजार कभी खत्म नहीं होता

"नाम" की कलम रूक जाती है लेकिन
दिल की बस्ती कभी वीरान नहीं होती

अशोक "नाम"

Thursday, October 28, 2010

कही नहीं हो

ख़ुशी ये नहीं के
तुम्हारी याद साथ है
गम ये हैं के
तुम नहीं हो
कही नहीं हो

तसल्ली ये नहीं के
सांसो का सफ़र साथ है
कमी ये है के
धडकनों में तुम नहीं हो
कही नहीं हो

एहसास ये नहीं के
ज़िन्दगी अब भी है
एतबार ये है के
पलकों पे तुम नहीं हो
कही नहीं हो

उम्मीद ये नहीं के
मंजिल आँखों में बसी है
उदासी ये है के
दर्द में तुम नहीं हो
कही नहीं हो

आरज़ू ये नहीं के
चाहतों में तुम शामिल हो
आलम ये है के
तमन्नाओ में तुम नहीं हो
कही नहीं हो

अफ़सोस ये नहीं के
"नाम" की तुम बेबसी हो
अंजाम ये है के
वफाओ में तुम नहीं हो
कही नहीं हो

अशोक "नाम"

Saturday, October 23, 2010

तेरे बगैर

तेरे बगैर नींदे मेरी जागी रही
तनहा रातों को समझाएं कैसे

तेरे बगैर मजिल मेरी उदास रही
खामोश रास्तों को भूलाएँ कैसे

तेरे बगैर यादें मेरी गुमसुम रही
अधखुली पलकों को रुलाएं कैसे

तेरे बगैर तन्हाई मेरी अकेली रही
बे-जुबान धडकनों को बहलायें कैसे

तेरे बगैर खुशियाँ मेरी जुदा रही
भीगे लम्हों को छुपायें कैसे

तेरे बगैर मौत मेरी रूटी रही
"नाम" ज़िन्दगी के गुजारू कैसे

अशोक "नाम"

Saturday, October 16, 2010

वफ़ा की आहत

मेरे साथ चलने वाले ऐ हमराही
इतना तो बता
वफ़ा की आहत तेरे क़दमों से
आती क्यों नहीं

खुशियों में साथ रहने वाले ऐ हम-सफ़र
इतना तो बता
दर्द की गहराई तेरी धडकनों में
महसूस होती क्यों नहीं

बे-इन्तहा मुहब्बत करने वाले ऐ हम-राज
इतना तो बता
तेरा प्यार मेरे दिल में
उतरता क्यों नहीं

मुझ पे मरना वाले ऐ हम-नवाज
इतना तो बता
तू मेरी ज़िन्दगी में
रहता क्यों नहीं

मेरे करवा-ऐ-सफ़र के अंजान मुसाफिर
इतना तो बता
मुकाम-ऐ-ज़िन्दगी की मजिल
तू बनता क्यों नहीं

मेरी पलकों पे अपने अश्क उतारने वाले बेनाम राही
इतना तो बता
"नाम" की धडकनों में
अपनी तस्वीर बनाता क्यों नहीं

अशोक "नाम"

Friday, October 15, 2010

फासलों की तन्हाई

तेरे वादे पे एतबार नहीं लेकिन
बे-परवाह धडकनों का क्या करे

मंजिल पे कोई तनहा नहीं लेकिन
खामोश रास्तों का क्या करे

हम-सफ़र हम-साया हम-राज कोई भी नहीं लेकिन
दिल की आवारगी का क्या करे

चाहत-ऐ-दर्द का सहारा अब नहीं लेकिन
खुशियों की बेबसी का क्या करे

नजदीकियों का आलम तो रहा नही लेकिन
फासलों की तन्हाई का क्या करे

मौत का आसरा भी बचा नहीं लेकिन
"नाम" की ज़िन्दगी का क्या करे

अशोक "नाम"

मिटटी का जिस्म

मिटटी का जिस्म ले के
दरिया के किनारे हूँ

तूफानों का दामन थामे
बादलों के संग उड़ा हूँ

मंजिल का दर्द लिए
मुसाफिर-सा राह में खड़ा हूँ

खुशियों की तपन के सहारे
मोम-की तरह हर पल पिघला हूँ

यादों की धड़कन संभाले
पलकों की दहलीज पे उतरा हूँ

उनकी ख़ामोशी और ज़िन्दगी
"नाम" मौत को सिने से लगाके जिया हूँ

अशोक "नाम"

Thursday, October 14, 2010

लम्हों का दर्द

वक़्त गुजरता है आहिस्ता आहिस्ता
लम्हे कुछ मगर कटते नहीं

दर्द पिघलता है कतरा कतरा
खुशियाँ मगर दम तोडती नहीं

थम जाते है कदम चलते चलते
मंजिल मगर साथ छोडती नहीं

ज़िन्दगी तमाम होती है मरते मरते
मौत मगर हमसफ़र बनती नहीं

सांसे लडखडाती है संभलते संभलते
एक साया मगर करीब आता नहीं

चाँद उतरता है तनहा तनहा
आसमान मगर महकता नहीं

आँखे नम होती है मद्धम मद्धम
धड़कने मगर तनहा रोती नहीं

प्यार हो जाता है भटकते भटकते
दर्द मगर हासिल होता नहीं

हमसफ़र जुदा होता है मिलते मिलते
मुसाफिर को मगर रास्ता मिलता नहीं

दिल में उठते है तूफा पल पल
पलकों पे मगर धड़कने ठहरती नहीं

ज़िन्दगी बसर होती है महफ़िल महफ़िल
हर शमा पे मगर परवाने जलते नहीं

लहरे मिल जाती है साहिल साहिल
"नाम" को मगर किनारा मिलता नहीं

अशोक "नाम"

Wednesday, October 13, 2010

तुम्हारी कमी

दर्द का तूफ़ान
और
यादों की बारिश

एक पल का अहसास
और
कई लम्हों की नजदीकियां

खुशियों का मिलना
और
अश्कों का पलकों पे उतरना

मंजिल की उम्मीद
और
सदियों का सफ़र

लहरों की खनक
और
किनारों की ख़ामोशी

अपनों की भीड़
और
अजनबी की तरह भटकना

हमसफ़र का बिछड़ना
और
हर मोड़ पे इंतजार

प्यार का मिलना
और
धडकनों की तन्हाई

हवाओं का चलना
और
पत्तों का गिरना

कुछ मिलना की चाहत
और
सब खो जाने का डर

वादों का टूटना
और
इरादों का संभलना

ख्वाबो का बिखरना
और
ज़िन्दगी को समेटना

तन का टूटना
और
मन की उड़ान

दर्द का पिघलना
और
पलकों का संवरना

उम्मीद का आलम
और
आप का दामन

सितारों की चमक
और
चांदनी का अँधेरा

सांसो का सफ़र
और
जिंदा रहने की सजा

सब कुछ तो है
मगर
तुम नहीं हो

"नाम" की ज़िन्दगी
और
तुम्हारी कमी

अशोक "नाम"

Monday, October 11, 2010

ज़िन्दगी का सच

सच तो ये है के जीने की कोई वजह न रही
और सच ये भी है के
जिंदा रहने के अलावा दूसरा कोई विकल्प न रहा

सच तो ये है के मंजिल की कोई जरुरत न रही
और सच ये भी है के
चलते रहने के अलावा मुसाफिर का कोई आसरा न रहा

सच तो ये है के हमसफ़र के मिलने को उम्मीद न रही
और सच ये भी है के
तन्हाई-ऐ-दर्द के अलावा धडकनों का कोई हम-साया न रहा

सच तो ये है के मौत से मिलने कोई चाहत न रही
और सच ये भी है के
इंतजार-ऐ-मुलाकात के अलावा "नाम" का कोई सफ़र न रहा।

अशोक "नाम"

फिर भी

जल रहा हूँ परवाने की तरह मगर
फिर भी मै जिंदा क्यों हूँ

मुस्करा रहा हूँ तन्हाई में मगर
फिर भी सीने में दर्द पिघलता क्यों है

ठहर गया हूँ सफ़र में चलते चलते मगर
फिर भी मंजिल मुझे पुकारती क्यों है

एक खवाब सोया है पलकों के किनारे मगर
फिर भी धड़कने नम होती क्यों है

कुछ फासला है दोनों के दर्मिया मगर
फिर भी नज्दिकिया सिसकती क्यों है

उतर रहा है होंठो पे काफिला यादों का मगर
फिर भी दिल गीत गुनगुनाता क्यों है

मिलता है बस एक हमसफ़र मगर
फिर भी मन मुसाफिर-सा क्यों है

खो जाना है किसी के आगोश में मगर
फिर भी तन मिटटी-सा क्यों है

हो जाना है जमी-दोस्श तुफानो से लड़ कर मगर
फिर भी शाखों पे पत्ते लगते क्यों है

होना है जुदा एक दिन दोराहे पे मगर
फिर भी लोग बिछड़ने से डरते क्यों है

कुछ भी नहीं है ज़िन्दगी में मगर
फिर भी मै सतुष्ट क्यों हूँ

एक खालीपन-सा है अहसास में मगर
फिर भी मै खुश क्यों हूँ

अशोक "नाम"

कोई

मेरी सांसो में ठहरा है कोई
मेरी पलकों पे रहता है कोई

मेरी धडकनों में पिघलता है कोई
मेरे सीने पे जलता है कोई

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वक़्त गुजरता नहीं, दर्द संवरता नहीं,
पलके महकती नहीं, धड़कने नम होती नहीं।

आप मिलते नहीं, सफ़र कटता नहीं,
सांसे थमती नहीं, ज़िन्दगी शुरू होती नहीं।

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पलकों पे दर्द महकता है,
धडकनों में तन्हाई संवारती है,
लबों पे दिल उतरता है,
सांसो में यादें घुलती है।

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बिखरी पड़ी ज़िन्दगी को
समेटते समेटते
मौत भी शामिल हो गए उसमे।

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कब निकल गए दिल से आप
हमें पता भी न चला
और पता चला जब
दूर तक आप का पता न था।

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सब कुछ छुट गया-सा क्यों लगता है,
ये दिल मुझसे खफा-सा क्यों लगता है,
मेरा हमसफ़र जुदा-सा क्यों लगता है,
'नाम' अपनों में अनजाना-सा क्यों लगता है।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

धडकनों की नाराज़गी ने रुला दिया,
आपकी ख़ामोशी ने जीना सिखा दिया,
पलकों के नमी ने हमें हंसा दिया,
"नाम" उसने किश्तों में मरना सिखा दिया।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मेरी धडकनों को संवारता है कोई,
मेरे दर्द को पुकारता है कोई,
मेरी ज़िन्दगी को जीता है कोई,
मेरे सीने पे मरता है कोई।

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अशोक "नाम"

Tuesday, August 10, 2010

वो कौन है

सितारों ने मुस्कुरा के पूछा वो कौन है जो आपकी धडकनों में जागता है

चांदनी ने शरमा के पूछा वो कौन है जो आपकी तन्हाई को सवारता है

फूलों ने खिल के पूछा वो कौन है जो आपके लबों पे महकता है

बारिश की बूंदों ने इठला के पूछा वो कौन है जो आपकी पलकों पे बरसता है

अशोक "नाम"

मेरा दर्द

मेरा दर्द सवरने लगा तेरे आगोश में पिघलने लगा

मेरी चाहते मुस्कराने लगी तेरी धडकनों में घुलने लगी

मेरा सफ़र खोने लगा तेरे दिल पे आ के ठहरने लगा

मेरी ख़ामोशी सोने लगी तेरी पलकों पे उतरने लगी

अशोक "नाम"

Saturday, July 17, 2010

मरने न दिया

महफ़िल-ऐ-रुसवाई ने मिलने न दिया

तेरे आसुओ ने दर्द-ऐ-गम पीने न दिया

तन्हाई-ऐ-याद में जी लेते लेकिन

दुनिया-ऐ-भीड़ में तुमने मरने न दिया

अशोक "नाम"

Friday, July 16, 2010

साया


जिन्दा है मगर अपनी ही ज़िन्दगी से बे-खबर है

सफ़र में है मगर हमसफ़र से बे-खबर है

तनहा चले जा रहे है

मगर...

एक अंजन साए को साथ पाया

ठहर गए कुछ पल वक़्त गुजरने के लिए

मगर ...वो साया चलता रहा मंजिल की तरफ

सवाल ये है क उस साए की पहचान क्या लेकिन ...

आहिस्ता -आहिस्ता धड़कने लबो पे आये और हौले से कहा

"नाम" उस साए का नाम मौत है।

अशोक "नाम"

Tuesday, July 13, 2010

हर पल

महफ़िल महफ़िल जलते रहे
मंजिल मंजिल भटकते रहे

पल पल खुश होते रहे
हर पल मरते रहे

अशोक "नाम"

जीते रहे

मंजिल को सफ़र पे लाते रहे
दर्द के सहारे खुशियों को जीते रहे

तेरी ज़िन्दगी पलकों पे जीते रहे
धडकनों में हम मरते रहे

अशोक "नाम"

Monday, July 12, 2010

धडकनों का दर्द

अपनी हर कमजोरियों पे एतबार किया हमने
जो शख्श मिला नहीं उसे बे इन्तेहाँ प्यार किया हमने

बिना दिल तोड़े वक़्त ने छिना उन्हें हमसे
बिना टुकडो के धडकनों में दर्द महसूस किया हमने

अशोक "नाम"

Thursday, July 8, 2010

हमसफ़र

हमसफ़र

धडकनों में चाँद सितारों का बसर है
पलकों पे आपकी यादों का असर है

जिसकी तलाश है दर्द को वो खुशियों से बेखबर है
तनहा है सफर लेकिन मंजिल "नाम" की हमसफ़र है

अशोक "नाम"

Friday, July 2, 2010

आपकी यादें

आपकी यादें

आपके सपने धडकनों पे रख शब् भर जागे रहे
आपकी यादें मंजील पे रख हर पल सफ़र में रहे

आपकी तस्वीर सांसो पे रख ज़िन्दगी की कीताब पड़ते रहे
आपकी आवाज़ पलकों पे रख हर लम्हा दर्द को गुनगुनाते रहे

अशोक 'नाम'

Wednesday, March 24, 2010

कुछ अशआर

कुछ अशआर

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खामोश निगाहों से बात कर गया कोई

धडकनों से मेरी मुलाकात कर गया कोई

खुशबू-ऐ-इश्क ज़िन्दगी को दे गया कोई

महफ़िल-ऐ-दर्द में तनहा रहा गया कोई

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देर न कर चलने में वर्ना रास्तें खो जायेंगे

मंजिल पे पहुचने की जल्दी न कर वर्ना हमसफ़र खो जायेंगे

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धड़कने नम हो जाती हैं आपके पहलू में आ के

पलके मुस्करा उठती है आपके जाने के बाद

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हम तो चले थे सफ़र में अकेले मगर तनहाई में अकेले रहे न सके

तुम तो रुखसत हुए अकेले मगर हम तो अकेल्र मर भी न सके

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ये तेरे प्यार की इन्तेहाँ थी के अपने साये में तेरे अक्स को महसूस करते रहे

ये तुझ तक पहुचने की शिद्दत थी के कागज की कश्ती पे दरिया को पार करते रहे

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दर्द की कश्ती पे सवार हो के प्यार का समंदर पर किया हमने

आप से मिलने की चाहत में जुदाई का इंतजार किया हमने

तनहाई के अँधेरे सफ़र को आपकी यादों से रोशन किया हमने

मंजील के करीब पहुच कर रास्तों के दूर होने का दुःख महसूस किया हमने

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कुछ तो फासले रहे होंगे वर्ना इतना करीब कोई न होता

कुछ तो अहसास बचा होगा वर्ना यु मुझसे बिछड़ के कोई खुश न होता

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जिस्म से कही ज्यादा अहसास खूबसूरत होता है

नजदीकियों से कही ज्यादा फासलों का असर करीबियां लाता है

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जिंदा रहने की चाहत में दूसरों की जिन्दगिया जीते रहे

प्यार के अहसास को महसूस करने की चाहत में दर्द का सफ़र तय करते रहे

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वो खुबसूरत मंजर वो प्यारी अदा वो महकना तेरा

हम खो न जाये के इस कदर बेपरवाह मेरे करीब आना तेरा

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किश्तों में ख़ुदकुशी करने का अपना मज़ा है

दर्द में डूब के प्यार को महसूस करने का अपना मज़ा है

राहों में चलते चलते मंजिल को भूलने का अपना मज़ा है

जिंदा रहने की चाहत में एक पल में कई बार मरने का अपना मज़ा है

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तू साथ नहीं ये मालूम है मुझे लेकिन धड़कने तुझसे ही बाते करती हैं

ख़ामोशी दर्द का साया बन कर पलकों पे छा जाती है लेकिन तेरी आवाज़ मेरे लबों को चूमती हैं

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धडकनों की नमी पलकों पे सफ़र तय करती हैं और हम जी उठते है

यादों की ख़ामोशी होंठो पे मचलती है और हम गुनगुना उठते है

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अशोक 'नाम'

Tuesday, March 23, 2010

कुछ अशआर

कुछ अशआर:

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खुद को भूलने की ख्वाहिश में उनकी यादों का सहारा लेते रहे
दर्द को महसूस करने की चाहत में खुशियों को बेसहारा करते रहे

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ज़िन्दगी के पहले सिरे की तलाश करते करते उसका आखरी सिरा कही खो गया
धडकनों की आवाज़ सुनते सुनते साँसों का सफ़र कही खो गया

महबूब के इंतजार में यादों का मंजर कहीं खो गया
दिल पे एतबार करते करते 'नाम' का वजूद कही खो गया

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हर मुसाफिर को चलने का हुनर नहीं आता
हर शख्स को जीने का हुनर नहीं आता

हर चाहनेवाले को इंतजार करने का हुनर नहीं आता
'नाम' तुम्हे धडकनों के बिना मरने का हुनर नहीं आता

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सर्द हवाओं में दर्द घूल जाता है
ऐ दिल तू न जाने कब गैरों सा हो जाता है

माना के प्यार जहाँ में सब किया करते हैं
ऐ सनम तू न जाने कब धडकनों में खो जाता है

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ऐ दिल मुझे बार बार उनके दर पे लेके जा वर्ना कही मैं उन्हें भूल न जाऊ
ऐ हवा मुझे मंझधार पे लेके चल वर्ना मैं सहिलो पे डूब के मर न जाऊ

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नए सफ़र को महसूस कर रही है ज़िन्दगी और हम न जाने कौन सी मंजिल पे नज़र लगाये बैठे है
फिर मुस्कुरा रही है ज़िन्दगी औए हम न जाने कौन से एहसास पे कुर्बान हुए जा रहे है

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पलकों पे ख्वाब दम तोड़ते है शायद सीने में जिन्दा है कोई
धडकनों में गम घुलता शायद होंटों पे दर्द बन कर उतरा है कोई

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मुस्कुरा रहा हूँ तेरे आंसू के एक कतरे को पलकों पे रख के
और जी रहा हूँ तेरी यादों के हर लम्हे को धडकनों पे रख के

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अशोक 'नाम'