Friday, February 18, 2011

कोई

 शब् भर मेरी पलकों पे जगता है कोई
मेरे तनहा सपनो को नीदें दे गया कोई

खुशबू बन के मेरे आसुओं में महकता है कोई
मेरे बे-जुबा दर्द को तन्हाई दे गया कोई

हर लम्हा मेरी धडकनों को सीने से लगाता है कोई
मेरी ठहरी सांसो को आवारगी दे गया कोई

मुसाफिर बन के मेरी यादों में सफ़र करता है कोई
मेरी खुशियों को नए मंजिल दे गया कोई

अहसास बन के मेरी ज़िन्दगी को चूमता है कोई
उम्मीद बन के मेरी मौत को जीने की खवाहिश दे गया कोई

हमसफ़र बन के अंधेरों में साथ चलता है कोई
मोहब्बत बन के लबो से "नाम" को छू गया कोई

अशोक "नाम"

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