तनहा अकेले
पलकों के सहारे
जी रही
वो लड़की
पलकों पे चुभन
सपनों की
चौंक उठती है
वो लड़की
धड़कनों की दहलींज
यादों का मकान
दिल को समझाती
वो लड़की
खुला आसमान
झुकीं पलकें
अशकों को छुपाती
वो लड़की
सूनी डगर
तनहा मंजिल
ददॆ से बातें करती
वो लड़की
अपनों की जुबानीं
सपनों की कहानी
जिंदगी से नज़रें चुराती
वो लड़की
सासों का सफ़र
खुद से बे-खबर
हाथ की लकीरों से लड़ती
वो लड़की
अशोक "नाम"
7 comments:
बहुत ख़ूब आशोक जी ....
अपनों की जुबानीं
सपनों की कहानी
जिंदगी से नज़रें चुराती
वो लड़की
सासों का सफ़र
खुद से बे-खबर
हाथ की लकीरों से लड़ती
वो लड़की
Bahunt badhiya kavita hai Ashoj jee.
Bahut khoob, Wadi Sai/ Ashok ji,Pl keep it up.
Bahoot Khoob Ashok bhai, Pl keep it up.
hi bhaut acha likha hai,keep it up
aap ki kavitavo ki kya tarif karu
kuch kahte huye darata hu...
.....kahi kuch 'shabd' kam na pad jaye!
रंजना जी, युवराज जी, इन्दरजीत जी, नरेश जी और नितिन जी
आप सभी का धन्यवाद़।
आपके शब्दों से जो हौसला मिला है वो मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है।
भविष्य में इसी तरह आप सभी का सहयोग मिलता रहेगा, ऐसी उम्मीद के साथ पुनः धन्यवाद़।
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