कुछ शेर:
अपना
मिलता है सब कुछ जिन्दगी एक दिन मगर...
जो हासिल होता है वो अपना नही होता...
होता है प्यार सपनों में हर बार मगर...
जो दर्द मिलता है वो अपना नही होता...
अशोक "नाम"
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आप
सफ़र मे जिन्दगी है...
जिन्दगी में हमसफ़र है...
हमसफ़र धड़कनों मे है...
धड़कनों में दर्द है...
दर्द में मंज़िल है...
मंज़िल में तनहाई है...
और
तनहाई में आपकी खामोशी है...
अशोक "नाम"
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आहट
सफ़र में हम थे मगर...
क़दमों की आहट अपनी न थी...
होंठों पे मुस्कराहट अपनी थी मगर...
पलकों पे आंसू अपने न थे...
सीने में दिल धड़कता रहा मगर...
धड़कनें अपनी न थी...
यादों में कोई था मगर...
वो अपना न था...
जीते रहे ख़ुशी के साथ उसे मगर...
वो जिन्दगी अपनी न थी...
अशोक "नाम"
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आज
आज ज़माने बाद उस बे-वफ़ा को याद किया...
आज ज़माने बाद धड़कनों ने दर्द से मुलाक़ात की...
आज ज़माने बाद पलकों ने आँसू से बात की...
आज ज़माने बाद जिन्दगी ने जीने की तमन्ना की...
अशोक "नाम"
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अपने
जिन्दगी में अपनों की कमी नही होती
अपनों में अपनेपन की कमी होती है...
रातों में सपनों की कमी नही होती
सपनों में अपनों की कमी होती है...
अशोक "नाम"
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मंज़िल
मंज़िल पे वो तनहा है, सफ़र में हम अकेले है...
मंज़िल हमारी किस्मत में नही, सफ़र उनकी चाहत में नही...
अशोक "नाम"
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बे-रूखी
जिन्दगी के इस मोड़ पे ये कैसा वक़्त आया है...
दर्द का एक कतरा पलकों पे उतर आया है...
नही रोते थे धड़कनों की खामोशी पे...
आज आपकी बे-रूखी ने हमे बहुत रुलाया है...
अशोक "नाम"
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Friday, May 25, 2007
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2 comments:
बहुत खूब। लिखते रहिए । हम पढ़ने आएगें
मंज़िल पे वो तनहा है, सफ़र में हम अकेले है...
मंज़िल हमारी किस्मत में नही, सफ़र उनकी चाहत में नही...
.....bahut khoob.....
Subhaan Allha ...!!!
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