बारिश की बूंदों ने धडकनों को नम कर दिया
तन्हाई के आलम ने दर्द को बे-रहम कर दिया
मंजिल की चाहत ने सफ़र को आवारा कर दिया
सपनो की महक ने पलकों को खुशनुमा कर दिया
गम की महफ़िल ने खुशियों को बेगाना कर दिया
नजदीकियों की रुसवाई ने दूरियों को बेपर्दा कर दिया
कदमो की आहट ने हमसफ़र को मुसाफिर कर दिया
अरमानो के कारवां ने रास्तों को जुदा कर दिया
किनारों की गहराई ने मांझी को मंझधारों का कर दिया
अपनों की भीड़ ने रिश्तों को बेमानी सा कर दिया
उनके आने की उम्मीद ने मौत को जिन्दा कर दिया
ज़िन्दगी की बेवफाई ने "नाम" को अकेला कर दिया
अशोक "नाम"
1 comment:
Post a Comment