शब् भर मेरी पलकों पे जगता है कोई
मेरे तनहा सपनो को नीदें दे गया कोई
खुशबू बन के मेरे आसुओं में महकता है कोई
मेरे बे-जुबा दर्द को तन्हाई दे गया कोई
हर लम्हा मेरी धडकनों को सीने से लगाता है कोई
मेरी ठहरी सांसो को आवारगी दे गया कोई
मुसाफिर बन के मेरी यादों में सफ़र करता है कोई
मेरी खुशियों को नए मंजिल दे गया कोई
अहसास बन के मेरी ज़िन्दगी को चूमता है कोई
उम्मीद बन के मेरी मौत को जीने की खवाहिश दे गया कोई
हमसफ़र बन के अंधेरों में साथ चलता है कोई
मोहब्बत बन के लबो से "नाम" को छू गया कोई
अशोक "नाम"
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