Friday, July 16, 2010
साया
जिन्दा है मगर अपनी ही ज़िन्दगी से बे-खबर है
सफ़र में है मगर हमसफ़र से बे-खबर है
तनहा चले जा रहे है
मगर...
एक अंजन साए को साथ पाया
ठहर गए कुछ पल वक़्त गुजरने के लिए
मगर ...वो साया चलता रहा मंजिल की तरफ
सवाल ये है क उस साए की पहचान क्या लेकिन ...
आहिस्ता -आहिस्ता धड़कने लबो पे आये और हौले से कहा
"नाम" उस साए का नाम मौत है।
अशोक "नाम"
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