आप के चेहरे पे उदासी खूबसूरत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी बेपरवाह धडकनों से पूछ लो
आपकी धडकनों पे लिखी कहानी अपनी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी पलकों पे अपने अश्कों से संवार दो
आप के अश्कों की नमी शायराना-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी ग़ज़लों को अपने लबों पे उतार लो
आप के लबों की कोमलता अजनबी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी आवारगी को अपने सीने पे रख लो
आप के सीने पे मेरी सांसे संगीत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी पायल की तन्हाई को सुन लो
आप के तन्हाई "नाम" की ज़िन्दगी-सी लगती है
यकीं न हो तो अपने ख्वाबों की परछाई से पूछ लो
अशोक "नाम"
Friday, November 12, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment