Friday, November 12, 2010

तुम नहीं हो

तसल्ली इस बात की नहीं के
धडकनों को किनारा मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
धडकनों में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
ज़िन्दगी की सहारा मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
ज़िन्दगी में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
सफ़र को मंजिल मिल गयी
अफ़सोस इस बात है के
सफ़र में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
आंसुओं को हमसफ़र मिल गया
अफ़सोस इस बात है के
आंसुओं में तुम नहीं हो


तसल्ली इस बात की नहीं के
घर को दरो-दिवार मिल गए
अफ़सोस इस बात है के
घर में तुम नहीं हो


"नाम" तसल्ली इस बात की नहीं के
सांसों का मंजर थम गया
अफ़सोस इस बात है के
सांसों में तुम नहीं हो


अशोक "नाम"

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

हर बार की तरह शानदार प्रस्तुति

संजय भास्‍कर said...

ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.