Wednesday, November 3, 2010

हर लम्हा

दर्द
उस अहसास की खुशबू है
जो
हर लम्हा
धडकनों को महका जाती है


खुशियाँ
उन आँखों की आवाज़ है
जो
हर लम्हा
लबों को गुनगुना जाती है


यादें
उन बातों की खूबसूरती है
जो
हर लम्हा
पलकों को संवार जाती है


मुलाकातें
उन फसलों को कहानी है
जो
हर लम्हा
नजदीकियों को भूला जाती है


ज़िन्दगी
उस सफ़र की मजिल है
जो
हर लम्हा
तन्हाई को रूला जाती है


"नाम"
उन रास्तों को मुसाफिर है
जो
हर लम्हा
एक मोड़ पे ठहर जाता है

अशोक "नाम"

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
आपको दीपावली की ढेर सारी  शुभकामनाएं.