चाँद गुनगुनाने लगा, सितारें गीत गाने लगे
जब आपकी यादों के बादल सीने पे उतरने लगे
महफ़िलें सजने लगी, शमाओ के दिल जलने लगे
जब आपके दर्द के अफसाने पलकों पे मचलने लगे
हवाओं में नशा घुलने लगा, मौसमों के रंग बदलने लगे
जब आपके अह्स्कों के मोती लबों को चूमने लगे
धडकनों के किनारे धूआ उतने लगा, सांसों के सफ़र थमने लगे
जब आपको आपके अपने साये अजबनी लगने लगे
वफाओं में ख़ामोशी छाने लगी, वादों के परिन्दें उड़ने लगे
जब आपकी तनहा मंजिलें मोड़ पे आके सिसकने लगे
सीने पे रातें जागने लगी, क़दमों के निशां मिटने लगे
जब आपके ख्वाब "नाम" की ज़िन्दगी होने लगे
अशोक "नाम"
Tuesday, November 16, 2010
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2 comments:
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
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