Monday, November 1, 2010

मेरी पलकों पे

लम्हे हो जाते है खूबसूरत
जब तेरा दर्द
करवट बदलता है
मेरी धडकनों में


जवा हो जाती है हसरत
जब तेरी याद
रंग बदलती है
मेरी सांसों में

बे-जुबा हो जाती है चाहत
जब तेरी ऑंखें
असर छोडती है
मेरी पलकों पे

दिल हो जाता है बेताब
जब तेरी तन्हाई
उतर आती है
मेरे अकेलेपन में

लैब हो जाते है बे-साज़
जब तेरी आवाज़
घूल जाती है
मेरे गीतों में

"नाम" हो जाते है बे-करार
जब तेरी खुशबू
बिखर जाती है
खामोश रास्तों में

अशोक "नाम"

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है

संजय भास्‍कर said...

इस शानदार रचना पर बधाई ....हैं यही मुझे पसंद आता है ....बहुत सुन्दर भाव भर दिए हैं आपने ....

फुर्सत मिले तो 'आदत.. मुस्कुराने की' पर आकर नयी पोस्ट ज़रूर पढ़े .........धन्यवाद |