Friday, November 12, 2010

यादों के निशाँ

ज़िन्दगी संवरती है, वक़्त गुजरता है
कुछ निशां यादों के
न मिटते है, न हलके होते है

सपने दम तोड़ते है, चाहते गुम होती है
कुछ सफ़र ज़िन्दगी के
न खत्म होते है, न बदलते है

मुसाफिर मिलते है, कारवां बदलता है
कुछ हमराही तन्हाई के
न गुजरते है, न ठहरते है

मौसुम रंग छोड़ते है, चेहरे बदलते है
कुछ आलम बेवफाई के
न मुस्कुराते है, न नम होते है

बदल छाते है, झुल्फें खुलती है
कुछ नशा अदाओं का
न बरसता है, न उतरता है

"नाम" रोते है, सांसे सिसकती है
कुछ असर दर्द के
न जीते है, न मरते है

अशोक "नाम"

1 comment:

संजय भास्‍कर said...

बेहद खूबसूरत भाव्…………शानदार