Friday, November 12, 2010

आपकी तन्हाई

आप के चेहरे पे उदासी खूबसूरत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी बेपरवाह धडकनों से पूछ लो

आपकी धडकनों पे लिखी कहानी अपनी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी पलकों पे अपने अश्कों से संवार दो

आप के अश्कों की नमी शायराना-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी ग़ज़लों को अपने लबों पे उतार लो

आप के लबों की कोमलता अजनबी-सी लगती है
यकीं न हो तो मेरी आवारगी को अपने सीने पे रख लो

आप के सीने पे मेरी सांसे संगीत-सी लगती है
यकीं न हो तो अपनी पायल की तन्हाई को सुन लो

आप के तन्हाई "नाम" की ज़िन्दगी-सी लगती है
यकीं न हो तो अपने ख्वाबों की परछाई से पूछ लो

अशोक "नाम"

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